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Showing posts from October, 2018

क्या सच है ? क्या झूठ है ?

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मयंक पांडेय द्वारा रचित सच और झूठ को तलाशती यह कविता - काव्यनामा क्या सच है ? क्या झूठ है ?   क्या सच है ? क्या झूठ है ? आओ चलो सोचे , क्या जिसे तुम मानते हो वो सच या जिसे नही मानते वो झूठ है। शायद , वो झूठ हो , जिसे तुम देखते हो और वो सच जिसे तुम नही देख पाते वो सच भी कितना सच है जिसे तुम देखकर भी झूठ मान जाते और वो झूठ भी कितना झूठ जिसे तुम बिना देखे सच मान जाते ये सच क्या है , की हम अधूरे है इसलिए पूरे है या झूठ है , वो तस्वीर जिसे तुम खीचते हो यादे संजोने के लिए आगे चलकर बीते किस्से सुनाने के लिए ये भी सोचना , ये जो अकेलापन है , ये सच हो और वो भीड़ जो तुम्हारे साथ है वो झूठ हो ये भी हो कि वो पूरी नदी झूठ है और वो एक बूंद सच है , जिसे तुमने महसूस किया हो अगर महसूस करना सच है तो तुम , तुम हो

Clean Technology by Er. Diwakar Maurya

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Summarised Power Point Presentation on Clean Technology for Sustainable Development of our Society by Er. Diwakar Maurya.  This content has been Created or Collected by Er. Diwakar Maurya  from proper sources.

G.D. Agarwal on Ganga

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Noted Gandhian and Environmentalist Professor G. D. Agarwal's views for Ganga to New Ganga are also significant for New India. The present mentality of Presenting everything as new will lead India to sabotage. Our ancient beliefs despite being considered as superstition would never have led to such polluted Environment. The Present Exploiting model of Development with everything supplied and exploited as surplus has even exaggerated simpler problems. In simple words Science has opened such paths which cannot be closed by science itself. The sacrifice of G. D. Agarwal and his Movement for River Ganga and Environment will always be remembered and will show path to environmentalists and general nature loving people. Guru Das Agrawal also known as Sant Swami Sanand, Sant Swami Gyan Swaroop Sanand was an Indian environmental engineer, religious leader, monk, environmentalist activist, professor and He was the Patron of an NGO named Ganga Mahasabha founded by Madan Mohan Malviy...

आहार, निद्रा और ब्रह्मचर्य का दैनिक जीवन में उपयोग

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भागदौड़ भरी जिंदगी, व मायावी चकाचौंध में लिपटकर हम अपनी संस्कृति और दिनचर्या के मूल तत्वों से दूर होते जा रहे हैं जिससे हमारी शारीरिक स्वास्थय एवम मानसिक स्वास्थय बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है | परिणाम स्वरुप मानव जीवन में तनाव व्यवहार परिवर्तन, आपसी कलेश एवम आर्थिक क्षरण हो रहा है| इन्ही तत्वों को ध्यान में रखते हुए आपके सामने प्रस्तुत है डॉ. मोहम्मद आमिर द्वारा लिखित " आहार, निद्रा और ब्रह्मचर्य का दैनिक जीवन में उपयोग" लेख  जो आपको एवम पुरे समाज को एक नई राह दिखाने का काम करेगा | इस पुरे लेख को पढ़ कर  अपने जीवन में उतारने का प्रयास सभी को करना चाहिए तथा अपनी राय एवं विचार निचे दिए गए कमेंट बॉक्स में जरूर देने का प्रयास करे जिससे हम आपके लिए और और भी नई जानकारी उपलब्ध कराने का प्रयास करेंगे | इस लेख में वर्णित विचार एवम तथ्य लेखक (Dr. Mohammad Aamir)   के अपने हैं या उनके द्वारा उचित माध्यमों से एकत्रित किया गया है |  लेखक आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय के गवर्नमेंट आयुर्वेदिक कॉलेज एवम अस्पताल, पटना  के अंतिम वर्ष के विद्यार्थी हैं | (If y...